Saturday 2 November 2019

sonpapdi

सोनपापड़ी 
बेसन से बनी एक त्योहारी मिठाई, जाने क्या सोच के बनाई 
आई दीपावली ,खुशियाँ लाई सबने दीयों की पंक्तियाँ सजाईं 
लगा मिठाईओं का मेला ,बर्फी लड़ू बालूशाही और रसगुल्ला  
कैसे भूलें डिब्बों के ढेर से मुँह झांकती बेचारी सोनपापड़ी 
एक घर से दूजे घर ,दूजे से तीजे घर-घर की दहलीज लांघती बेचारी सोनपापड़ी 
सभी गिफ्ट खुल जाते पर न खुल पाती बेचारी सोनपापड़ी 
न किसी को भाती ,प्लेट के किसी कोने से हाथ मैं आने को बेक़रार बेचारी सोनपापड़ी 
बिन बुलाये लोगों को पकड़ा दी जाती ,अंदर ही अंदर कसमसाती बेचारी सोनपापड़ी 
अजीब से दिखते रिश्तेदारों को गिफ्टपैक ,कर पैकिंग खुलने का इन्तजार करती बेचारी सोनपापड़ी  
एक्सपायरी डेट होने पर जानवरों के हवाले कर दे जाती बेचारी सोनपापड़ी 
बेसन से बनी इक बेचारी मिठाई जाने क्या सोच के बनाई 

Sunday 4 August 2019

गाय

गाय 

कूड़े के ढेर पर बसर करती ज़िन्दगी
कट्टी खानों में अपना वजूद तलाशती ज़िन्दगी
गोशाला में भूंखी प्यासी आखरी साँसें गिनती ज़िन्दगी
कहने को चौरासी करोड़ देवी देवताओं का वास
लेकिन जीवित या मृत की सूची में खुद का वजूद बचाती ज़िन्दगी 
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