Saturday 10 August 2013

खरगोश की चतुराई

एक जंगल मे रहता एक दुष्ट शेर
करता था वो सभी जानवरों को ढेर 
सबने मिल कर एक उपाय सोचा
रोज शेर के पास एक जानवर भेजा
अब बारी खरगोश की आई
उसने एक तरकीब लगाई
शेर के पास पंहुचा वो बड़ी देर से
भूख से व्याकुल शेर बोला बड़े गुस्से से
देर से क्यों आये हो क्यों इतने घबराये हो
जान बचाकर आया हूँ इसलिए इतना घबराया हूँ
महाराज रस्ते में मिल गया एक दूजा शेर
दूजा शेर चलो मुझे तुम ले चलो अभी करता हूँ उसको ढेर 
खरगोश शेर को कुएँ  पर लाया बोला यही है उसका घर
शेर ने अन्दर झाँका तो खुद की परछाई आई नज़र
गुस्से में उसे कुछ न सूझा झट कुँए में कूद गया
तैरना आता न था उसको -और कुँए में डूब गया
बच्चो इस कहानी से तुम यह ज्ञान लो
मुश्किल में पढो तो बुद्धिमानी से काम लो
गुस्से में लम्बी सांस भरो तुम
बिन सोचे ना कोई काम करो तुम 

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