Saturday 4 April 2020

जैसे को तैसा

भारत की आवो हवा साफ़ हुई , प्रदुषण हुआ हवा हवा
यह ज़िन्दगी हे एक जुआ

सड़क पे गजराज चल पड़े घूमने के लिये
दिल दिया है जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिये

पूरी पल्टन पिकनिक मनाने सड़कों पे आये हिरन
हम होंगे कामयाब एक दिन

सनाटा देख आदमी की खोज में बीच बाजार नील गाय फिरें
हम को मन की शक्ति देना मन विजय करैं

पार्किंग में मची उथल पुथल, बन्दर तोड़ फोड़ मचाएं कदम कदम
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम

बाग़ गुलदारों के आतंक से त्रश्त पहले से ही है आबादी
आओ बच्चों तुम्हे दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की

बेफके बकरे मस्ती में इधर उधर इतराते हैं
संदसे आते हैं हमें तड़पाते हैं

प्रकृति ने पासा पलटा, इंसान बंद सब जानवर खुलेआम
माँ तुझे सलाम  .. वनदेमातरम्

वक़्त रहते समझ जा मानव कहीं बचे ने कारवां
तेरी मिटटी में मिल जावां ..


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