जिसमें निवास करते
देवता चौरासी हज़ार
ऐसी, गौ माता को नमन
बार-बार
ऐसी ही एक अमुल्य निधि
स्त्री का अवतरण हुआ पृथ्वी पर
धैर्य, संयम, आत्मविश्वास,
ईमानदारी की प्रतिमूर्ति इसको नमन कर
खुद भूखी पर बच्चों
का पेट भरे, ना इसकी उमीदों का
दमन कर
जिंदगी की हर कसोटी
से खरी उतरती, ना इसको मशीन की श्रेणी में रख
सीता, लक्ष्मी बाई,
सावित्री जैसी नारियों से इतिहास भरा है इसका कुछ तो पठन कर
अपनों को देख मुश्किल
में काली बनते देर ना लगती, इसका भी कुछ ख़ौफ़ कर
अपनी माँ भी कभी बेटी
थी, इसको याद कर
जीवन देती हैं, तो
जीवन ले भी सकती हैं
अंबा है, गौरी है तो
काली भी बन सकती है
समझ जा नारी की शक्ति
को, हौसले को, विश्वास को, कभी तो इसकी महिमा का बखान कर