एक और ज्योतिपुंज उस परमपुंज में जा मिली।
समझ नहीं आता मानसिक व्याधियों से, जर्जर शरीर से
ज़िम्मेदारी से किससे मुक्ति मिली।।
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।।
मृत्यु एक सच है दबे पाँव आती है।
जब तक कोई समझे, सजीव को निर्जीव बना जाती है।
श्रद्धा सुमन अर्पित
कुसुम मामी
समझ नहीं आता मानसिक व्याधियों से, जर्जर शरीर से
ज़िम्मेदारी से किससे मुक्ति मिली।।
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।।
मृत्यु एक सच है दबे पाँव आती है।
जब तक कोई समझे, सजीव को निर्जीव बना जाती है।
श्रद्धा सुमन अर्पित
कुसुम मामी
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