जिस कौम को कभी हिकारत से देखते थे
हाथों से ही दूर जाने के इशारे करते थे
आज वही जब काम पे निकलते हैं
उस सफाई कर्मी के सम्मान में
शीश झुकाता हिन्दुस्तान है
पल पल की खबर जो पहुंचाए
हर मोड़ पे माइक लिए दिख जाए
कभी शांति से कभी बहस कर
अपने मुद्दे पाए आये
आज उस मीडिया कर्मी के सम्मान में
शीश झुकाता हिन्दुस्तान है
हर गली मोहल्ले कूचे में
बीच बाजार चौराहों पर
जो गस्त लगता है
कितनी भी जटिल परिस्थिति हो
तनिक नहीं घबराता है
कभी सख्ती से कभी दरियादिली से
एक अलग पहचान बनाता है
हां, उस पुलिस कर्मी के सम्मान में
शीश झुकाता हिन्दुस्तान है
जिसके बिन यह जंग अधूरी
हारी बाजी हो जाए पूरी
ईश्वर की तरह वो पूजा जाये
मौत के मुहं से वो भी ले आये
परिजनों से दूर रह
मरीजों के चेहरों पे हंसी लाये
हाँ, आज उस डॉक्टर , नर्स के सम्मान में
शीश झुकाता हिन्दुस्तान है
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