चैन हे सुकून हे पर घर की door bell क्यों आज मौन है ?
सुबह से लेकर रात तक टिंग टोंग जो बजती थी
कभी कभी कानों को कर्कश भी लगती थी
क्यों आज मौन है ?
सपने में भी टिंग टोंग सुनाई देती थी
दूर कहीं बजे तो भी अपनी सी लगती थी
क्यों आज मौन है ?
सुबह से लेकर रात तक टिंग टोंग जो बजती थी
कभी कभी कानों को कर्कश भी लगती थी
क्यों आज मौन है ?
सपने में भी टिंग टोंग सुनाई देती थी
दूर कहीं बजे तो भी अपनी सी लगती थी
क्यों आज मौन है ?
पति का, बच्चों का आने का इंतज़ार ख़तम करती थी
क्यों आज मौन है ?
होम डिलीवरी की टिंग टोंग पे जो खुशी देती थी
क्यों आज मौन है ?
Pizza जब आता था डिलीवरी बॉय घंटी बजाता था
उस पल का परम आनंद अवर्णीय
क्यों आज मौन है ?
कभी - २ इतना बजती थी गालियां सुनती थी
क्यों आज मौन है ?
अब सुनने को कान तरसते हैं
लोग घंटी बजाने से डरते हैं
कदम पल-२ दरवाजे की ओर बढ़ते हैं
जुबां भी (ज़रा गेट खोल दो) कहना चाहती है
पास से, दूर से कोई टिंग टोंग की आवाज़ ना आती है
अब वो मधुर टिंग टोंग की ध्वनि
क्यों आज मौन है ?
लोगों के सब्र की परीक्षा है.
अब तो किसी चमत्कार की प्रतिक्छा है..
टिंग टोंग। ..... टिंग टोंग। ..... टिंग टोंग। ..... टिंग टोंग। ..... टिंग टोंग। ..... टिंग टोंग। .....
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